Sandeep Kumar

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लेखनी कहानी -17-Mar-2024

शक की बीमारी जिस घर में प्रवेश किया है 

वह धर , धर नहीं रहा है 
धनवान होकर भी वह
निर्धन सा जिंदगी जिया हैं।।

रोज-रोज खट-खट
रोज-रोज विलाप वहां हुआ है 
शक की बीमारी जिस घर प्रवेश किया
वह धर उन्नति के शिखर कभी नहीं छुआ है।।

इस बीमारी से ग्रसित जो भी हुआ है
वह निर्धन और फकीर बना है
यह बहुत ही बड़ा कुष्ठ रोग 
जो महामारी का रूप धारण कर घर बर्बाद किया है।।

दाने-दाने को ऐसे ही लोग तरस गए हैं 
विवाद जहां हुआ है वहां खुश कौन रहता 
शक ना करना बंधु बांधव
यह आग हमेशा मानव जाति को छला है।।

रोज-रोज विग्रह, क्लेश जहां उत्पन्न हुआ है 
आपस में लड़ाई और झगड़ा किया है
उन्नति नहीं अवनति मार्ग पर चला है
वह धर बर्बाद ही बर्बाद हुआ है।।

संदीप कुमार
अररिया बिहार

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6 Comments

RISHITA

21-Mar-2024 06:21 AM

Amazing

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Mohammed urooj khan

19-Mar-2024 11:55 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Alka jain

19-Mar-2024 01:48 PM

Nice

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